Monday, April 19, 2010

औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर पुदीना


गहरे हरे रंग की पत्तियों वाले पुदीने की उत्पत्ति योरप से मानी गई है। प्राचीन काल में रोम, यूनान, चीनी और जापानी लोग पुदीने का प्रयोग विभिन्न औषधियों के तौर पर किया करते थे। इन दिनों भारत, इंडोनेशिया और पश्चिमी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पुदीने का उत्पादन किया जाता है।

खासकर गर्मियों में पैदा होने वाला पुदीना औषधीय और सौंदर्योपयोगी गुणों से भरपूर है। इसे भोजन में रायता, चटनी तथा अन्य विविध रूपों में उपयोग में लाया जाता है।

औषधीय गुण
पुदीने की पत्तियों का ताजा रस नीबू और शहद के साथ समान मात्रा में लेने से पेट की हर बीमारियों में आराम दिलाता है।

पुदीने का रस कालीमिर्च और काले नमक के साथ चाय की तरह उबालकर पीने से जुकाम, खाँसी और बुखार में राहत मिलती है।

इसकी पत्तियाँ चबाने या उनका रस निचोड़कर पीने से हिचकियाँ बंद हो जाती हैं।

सिरदर्द में ताजी पत्तियों का पेस्ट माथे पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

मासिक धर्म समय पर न आने पर पुदीने की सूखी पत्तियों के चूर्ण को शहद के साथ समान मात्रा में मिलाकर दिन में दो-तीन बार नियमित रूप से सेवन करने पर लाभ मिलता है। पेट संबंधी किसी भी प्रकार का विकार होने पर एक चौथाई चम्मच पुदीने के बीज खाएँ अथवा 1 चम्मच पुदीने के रस को 1 कप पानी में मिलाकर पिएँ।

अधिक गर्मी या उमस के मौसम में जी मिचलाए तो एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण और 1/2 छोटी इलायची पावडर को एक गिलास पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है। पुदीने की पत्तियों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को मंजन की तरह प्रयोग करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है और मसूड़े मजबूत होते हैं। एक चम्मच पुदीने का रस, दो चम्मच सिरका और एक चम्मच गाजर का रस एकसाथ मिलाकर पीने से श्वास संबंधी विकार दूर होते हैं।

पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से गले का भारीपन दूर होता है और आवाज साफ होती है। पुदीने का रस रोज रात को सोते हुए चेहरे पर लगाने से कील, मुहाँसे और त्वचा का रूखापन दूर होता है।

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