अपने आप से बात करना पागलपन का लक्षण भले ही माना जाता हो, लेकिन एक शोध में बताया गया है कि ऐसा करने वाले लोग तनावपूर्ण स्थितियों में आत्म-नियंत्रण बेहतर तरीके से करते हैं।
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिकों ने कुछ लोगों पर आत्म-नियंत्रण के लिए अध्ययन किया। अध्ययन में लोगों को खुद से बात करने के लिए कहा गया।अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने खुद से बात की उनमें तनावपूर्ण स्थितियों में आत्म-नियंत्रण करने की क्षमता ज्यादा बेहतर पाई गई। वैज्ञानिकों के अनुसार आवेगपूर्ण व्यवहार को नियंत्रित करने में 'आंतरिक आवाज' महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आत्म-नियंत्रण का मूल्यांकन करने वाले एक परीक्षण में वैज्ञानिकों ने लोगों से परदे पर एक संकेत दिखाई देने पर बटन दबाने के लिए कहा। जबकि दूसरा संकेत दिखाई देने पर उन्हें बटन न दबाने के लिए कहा गया।इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस पद्धति को लोगों की 'आंतरिक आवाज' के इस्तेमाल को रोकने के लिए किया। ऐसा देखा गया कि परीक्षण के दौरान लोगों ने खुद से बात नहीं की।
शोधकर्ता माइकल इंजलिक्ट ने बताया, "काम करते समय जब लोगों ने खुद से बातें नहीं की उस समय उन्होंने ज्यादा आवेगपूर्ण तरीके से काम किया।"उन्होंने बताया कि जब लोगों ने खुद से बात करते हुए काम किया उस समय उनके आत्म-नियंत्रण की मात्रा बिना बात किए आत्म-नियंत्रण से ज्यादा थी,शोधकर्ता ने बताया कि खुद से बात करने पर आत्म-नियंत्रण करने के साथ ही आवेगपूर्ण निर्णय रोकने में मदद मिलती है।(स्रोत:जागरण डॉट काम}
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिकों ने कुछ लोगों पर आत्म-नियंत्रण के लिए अध्ययन किया। अध्ययन में लोगों को खुद से बात करने के लिए कहा गया।अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने खुद से बात की उनमें तनावपूर्ण स्थितियों में आत्म-नियंत्रण करने की क्षमता ज्यादा बेहतर पाई गई। वैज्ञानिकों के अनुसार आवेगपूर्ण व्यवहार को नियंत्रित करने में 'आंतरिक आवाज' महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आत्म-नियंत्रण का मूल्यांकन करने वाले एक परीक्षण में वैज्ञानिकों ने लोगों से परदे पर एक संकेत दिखाई देने पर बटन दबाने के लिए कहा। जबकि दूसरा संकेत दिखाई देने पर उन्हें बटन न दबाने के लिए कहा गया।इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस पद्धति को लोगों की 'आंतरिक आवाज' के इस्तेमाल को रोकने के लिए किया। ऐसा देखा गया कि परीक्षण के दौरान लोगों ने खुद से बात नहीं की।
शोधकर्ता माइकल इंजलिक्ट ने बताया, "काम करते समय जब लोगों ने खुद से बातें नहीं की उस समय उन्होंने ज्यादा आवेगपूर्ण तरीके से काम किया।"उन्होंने बताया कि जब लोगों ने खुद से बात करते हुए काम किया उस समय उनके आत्म-नियंत्रण की मात्रा बिना बात किए आत्म-नियंत्रण से ज्यादा थी,शोधकर्ता ने बताया कि खुद से बात करने पर आत्म-नियंत्रण करने के साथ ही आवेगपूर्ण निर्णय रोकने में मदद मिलती है।(स्रोत:जागरण डॉट काम}
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