Tuesday, November 9, 2010

दर्दनिवारक दवाएं बना सकती हैं बांझ

गर्भवती महिलाओं द्वारा दर्दनिवारक दवाएं लेने से उनके अजन्मे बेटों में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पैरासीटामोल, एस्प्रिन और आईबूप्रोफेन जैसी दवाओं का लम्बे समय तक इस्तेमाल ल़डकों में प्रजनन अंगों के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।
      समाचार पत्र "डेली मेल" के मुताबिक इन दवाओं के इस्तेमाल से ल़डकों में बनने वाले शुक्राणुओं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और जीवन के अंतिम दिनों में उन्हें वृषण कैंसर का खतरा हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हाल के समय में पुरूषों में होने वाली प्रजनन संबंधी विकृतियों की मुख्य वजह दर्दनिवारक दवाएं हैं। इसके अलावा भ्रूण के हार्मोन असंतुलन के सम्पर्क में होने से भी विकृतियां होती हैं। अध्ययन के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय एक से ज्यादा प्रकार की दर्दनिवारक दवाएं लेने वाली महिलाओं के बेटों में यह खतरा सात गुना तक बढ़ जाता है। चार से छह महीने की गर्भावस्था के दौरान दर्दनिवारक दवाएं लेना सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। इस दौरान केवल एक दर्दनिवारक दवा लेने से भी ये दवाएं न लेने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में इन महिलाओं के बेटों में ये खतरा दोगुना हो जाता है। पैरासीटामोल खतरे को दोगुना करती है जबकि एस्प्रिन या आईबूप्रोफेन चार गुना तक खतरा बढ़ा देती है। अध्ययन के मुताबिक चार से छह महीने की गर्भावस्था के दौरान एक साथ दो दर्दनिवारक दवाएं लेने से यह खतरा 16 गुना तक बढ़ जाता है। (source:daily mail)

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