विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मातृ मृत्युदर (एमएमआर) सबसे ज्यादा है, जबकि स्वास्थ्य अधिकारी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। अधिकारियों का कहना है कि भारत में प्रति लाख महिलाओं में मातृ मृत्युदर की बात करें तो यह आंकड़ा अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।
अधिकारियों का कहना है कि यहां पर मातृ मृत्युदर घटाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2008 में 63,000 माताओं की मृत्यु हुई थी और यह अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है लेकिन बहुत अधिक आबादी होने और शायद गलत अनुमानों के चलते यह तस्वीर सामने आई थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भारत की आबादी ज्यादा है इसलिए यहां होने वाली मौतों की संख्या भी ज्यादा होगी।"
डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनएफपीए और विश्व बैंक ने 15 सितम्बर को मातृ मृत्यु दर पर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2008 में भारत में मातृ मृत्यु की संख्या सबसे ज्यादा 63,000 बताई गई है जो नाइजीरिया, कांगो, अफगानिस्तान और इथियोपिया जैसे देशों से ज्यादा है।
इस बीच देश में वर्ष 2008 में प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर 230 थी जबकि वर्ष 1990 में 570, 2000 में 390 और 2005 में 280 दर्ज की गई थी। इस तरह मातृ मृत्युदर में 59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
यह हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, "डब्ल्यूएचओ की सूची में नाइजीरिया दूसरे स्थान पर है और वहां मातृ मृत्युदर प्रति एक लाख की आबादी पर 840 है जबकि तीसरे स्थान पर रहे कांगो की प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर 670 है। दूसरी ओर भारत में प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर केवल 230 है।"
उन्होंने कहा, "जननी सुरक्षा योजना जैसी योजनाएं मातृ मृत्युदर कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही हैं।"महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें लगता है कि शायद आंकड़ों में गलत अनुमान लगाया गया है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "कुछ दिन पहले हमने जर्नल लेन्सेट में एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें 181 देशों की सूची में भारत 127वें स्थान पर था। उसके ठीक ऊपर पाकिस्तान और ठीक नीचे नेपाल था। हो सकता है कि आंकड़ों की गणना में जिस विधि का इस्तेमाल किया गया हो उसमें कोई गड़बड़ी हो।"(स्रोत:जागरण डॉट काम)
अधिकारियों का कहना है कि यहां पर मातृ मृत्युदर घटाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2008 में 63,000 माताओं की मृत्यु हुई थी और यह अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा है लेकिन बहुत अधिक आबादी होने और शायद गलत अनुमानों के चलते यह तस्वीर सामने आई थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भारत की आबादी ज्यादा है इसलिए यहां होने वाली मौतों की संख्या भी ज्यादा होगी।"
डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनएफपीए और विश्व बैंक ने 15 सितम्बर को मातृ मृत्यु दर पर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2008 में भारत में मातृ मृत्यु की संख्या सबसे ज्यादा 63,000 बताई गई है जो नाइजीरिया, कांगो, अफगानिस्तान और इथियोपिया जैसे देशों से ज्यादा है।
इस बीच देश में वर्ष 2008 में प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर 230 थी जबकि वर्ष 1990 में 570, 2000 में 390 और 2005 में 280 दर्ज की गई थी। इस तरह मातृ मृत्युदर में 59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
यह हवाला देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, "डब्ल्यूएचओ की सूची में नाइजीरिया दूसरे स्थान पर है और वहां मातृ मृत्युदर प्रति एक लाख की आबादी पर 840 है जबकि तीसरे स्थान पर रहे कांगो की प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर 670 है। दूसरी ओर भारत में प्रति एक लाख की आबादी पर मातृ मृत्युदर केवल 230 है।"
उन्होंने कहा, "जननी सुरक्षा योजना जैसी योजनाएं मातृ मृत्युदर कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही हैं।"महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें लगता है कि शायद आंकड़ों में गलत अनुमान लगाया गया है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "कुछ दिन पहले हमने जर्नल लेन्सेट में एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें 181 देशों की सूची में भारत 127वें स्थान पर था। उसके ठीक ऊपर पाकिस्तान और ठीक नीचे नेपाल था। हो सकता है कि आंकड़ों की गणना में जिस विधि का इस्तेमाल किया गया हो उसमें कोई गड़बड़ी हो।"(स्रोत:जागरण डॉट काम)
No comments:
Post a Comment