ऐसा अक्सर सुनने में आता है कि उम्र के 40 वर्ष पार कर लेने के बाद पुरुषों का झुकाव विवाहेत्तर संबंधों की ओर अधिक हो जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि 30 साल की उम्र के बाद पुरुषों में एंड्रोपॉज की शुरुआत हो जाती है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में हर साल दो से तीन प्रतिशत की कमी आती है और 40 साल की उम्र तक टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बहुत कम हो जाता है। इस दौरान पुरुषों में सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है। वे सेक्स के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वे एक बार फिर पहले से ज्यादा रोमांटिक हो गए हैं।
यह वही दौर है जब ज्यादातर पुरुष शादीशुदा होते हुए भी दूसरी महिलाओं से संबंध बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। हाल ही में हुए शोध में यह प्रमाणित हो गया है कि पुरुषों को भी महिलाओं की तरह मीनोपॉज होता है। 40 साल की उम्र के बाद पुरुषों में सेक्स हारमोन का विकास कम हो जाता है। पुरुषों के मीनोपॉज को एंड्रोपॉज कहा जाता है। हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि 40 साल की उम्र के बाद पुरुषों को भी होता है एंड्रोपॉज। मेडिकल साइंस में हाइपोगोनाडिज्म कहलाने वाली यह समस्या तब होती है जब अंडकोष से टेस्टोस्टेरोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता। इस अवस्था में पुरुषों के मिजाज में बदलाव होता है।(स्त्रोत:न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन)
यह वही दौर है जब ज्यादातर पुरुष शादीशुदा होते हुए भी दूसरी महिलाओं से संबंध बनाने के लिए प्रेरित होते हैं। हाल ही में हुए शोध में यह प्रमाणित हो गया है कि पुरुषों को भी महिलाओं की तरह मीनोपॉज होता है। 40 साल की उम्र के बाद पुरुषों में सेक्स हारमोन का विकास कम हो जाता है। पुरुषों के मीनोपॉज को एंड्रोपॉज कहा जाता है। हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि 40 साल की उम्र के बाद पुरुषों को भी होता है एंड्रोपॉज। मेडिकल साइंस में हाइपोगोनाडिज्म कहलाने वाली यह समस्या तब होती है जब अंडकोष से टेस्टोस्टेरोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता। इस अवस्था में पुरुषों के मिजाज में बदलाव होता है।(स्त्रोत:न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन)
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